मेरी डायरी से कुछ रद्दी खयाल..
मैंने... ज़िन्दगी में बहुत कुछ खोया!!
लेकिन
जब जब खोया न...
तो नया कुछ पा भी लिया!
पर इंतज़ार न किया कभी किसी के आने का
जब- जब कोई ज़ख्म मिला न…
उस पर खुद ही मरहम लगा लिया…!!
मैंने ज़िन्दगी में बहुत कुछ पाया भी!!
लेकिन
जब जब पाया न…
तो पुराना कुछ न कुछ खो दिया
पर इंतज़ार न किया फिर नई खुशियाँ पाने का
जब जब कोई दुख मिला न...
उस रिक्त स्थान को भरने के लिए
खुद के लिए एक खुशनुमा लम्हा खुद ही बना लिया!!
सही किया ना!!!?
Moral of this रद्दी ख़याल- ज़िन्दगी खोने पाने का नाम है। ना खुशियों के लिए इंतज़ार करना है न ही ज़िन्दगी में मिले दुख, दर्द, पछतावे को लंबे समय तक ढोना है। हर खुशी हर गम लाइफ का बस एक फेज़ है सब गुज़र जाना है। और हमे भी। तो न गम को लेकर बैठो न खुशी को।
स्वरचित मौलिक©divyajoshi
मेरी डायरी से कुछ रद्दी खयाल..
मैंने... ज़िन्दगी में बहुत कुछ खोया!!
लेकिन
जब जब खोया न...
तो नया कुछ पा भी लिया!
पर इंतज़ार न किया कभी किसी के आने का
जब- जब कोई ज़ख्म मिला न…