दीवारों के बीच दबाई गई सच्चाईयों से, क्या सच में
मिलना चाहते हो.........
छोड़ो भी.....रहस्यों भरी गहराईयों में, क्यों खुद को
बेमतलब उलझाते हो.......
जो दिखता है सबको सही और सच, वो बहुत सी बार
सच नही होता.....
और जो सच होता है, वो अक्सर इन दिवारों के पीछे,
कैद में है होता.....
©Ruchika
#दिवारें