अपने लोग, अपना घर बार नही मिलता,
हर किसी को यहाँ परिवार नही मिलता,
सालो-साल धूल खाती रहती है फाइलें,
हर गुनाह का गुनेहगार नही मिलता,
दफ्तरों के चक्कर काट, घिस जाते हैं जूते,
हर सरकारी अफसर ईमानदार नही मिलता,
यहाँ जात पात धर्म के बड़े मसले है "राजे"
सभी को अपनी मर्ज़ी का प्यार नही मिलता।
©Ranjeet Singh
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