चाँद तू है बहुत खूबसूरत फिर भी
सबकी नजरें क्यों सिर्फ तेरे दाग़ पर हैं चली जाती
तेरी शीतलता सबको है सुहाती
फिर भी क्यों तेरे अस्तित्व की किरणें
सूरज के सामने फीकी हैं पड़ जाती
तू शांति और सौहार्द का है प्रतीक
फिर भी क्यों रातें अमावस्या की तुझे हैं ढक जाती.....
तू है स्वच्छ और निर्मल