लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में किसकी बनी है | हिंदी Poetry Video

"लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में किसकी बनी है आलमे- नापायदार में बुलबुल को बाग़मा से न सैयाद से गिला किस्मत में कैद लिखी थी, फसले बहार में इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसे इतनी जगह कहां है दिले- दागदार में ईक शाखे- गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमा कांटे बिछा दिए हैं दिले -लालहजार में उम्रे-दराज मांग के लाए थे चार दिन दो आरजू में कट गए तो इंतजार में दिन जिंदगी के खत्म हुए शाम हो गई फैला के पांव सोएंगे कुंजे-मजार में कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए दो गज जमीन भी ना मिली कुएं-यार में -बहादुर शाह ज़फ़र ©Deeksha Pilania "

लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में किसकी बनी है आलमे- नापायदार में बुलबुल को बाग़मा से न सैयाद से गिला किस्मत में कैद लिखी थी, फसले बहार में इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसे इतनी जगह कहां है दिले- दागदार में ईक शाखे- गुल पे बैठ के बुलबुल है शादमा कांटे बिछा दिए हैं दिले -लालहजार में उम्रे-दराज मांग के लाए थे चार दिन दो आरजू में कट गए तो इंतजार में दिन जिंदगी के खत्म हुए शाम हो गई फैला के पांव सोएंगे कुंजे-मजार में कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए दो गज जमीन भी ना मिली कुएं-यार में -बहादुर शाह ज़फ़र ©Deeksha Pilania

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