"वो जो बन बैठे हैं
अजनबी हमसे
कहते थे कि न होंगे खफा
वो कभी हमसे।।
वो जो उनकी नजरें हैं
कर रही नजरअंदाज हमें
वो शर्मां के झुका करती थी
कभी हमसे।।
वो जिन्हे देखने को
तरस रहें हम
वो खुद आकर मिला करती थी
कभी हमसे।।
कि जिन से बातें
होती नहीं आज-कल
वो खुद ही सबकुछ बयां करती थी
कभी हमसे ।।
वो जो दूर-दूर
रहने लगी हमसे
वो कभी न बिछड़ने का दावा करती थी
कभी हमसे ।।
वो जो वजह ढूंढती
है हमसे मोहब्बत करने की
मोहब्बत बेवजह ही किया करती थी
वो कभी हमसे।।"