जितनी जिसकी प्यास रहा, मैं उतना उसका खास रहा
जिसको जितना आवश्यक मैं, वो उतना मेरे साथ रहा
मन की करता मैं आज रहा, तो हर मन का उपहास रहा
पर ख़ुश हूँ इस आवाज़ से मैं, हर दिन पंछी आज़ाद रहा
मैं भरी दोपहरी प्याज़ रहा, काले टीके का दाग रहा
मैं गर्म हवा का साज रहा, या बाँध दिठौना राज रहा
हर मंज़र मेरा ख़ुस था, मैं चाहे जितना बर्बाद रहा
मुझे नाज़ रहा हर ठोकर पे, खुदकी बनती आवाज़ रहा
-Nishant Pandit
हर दिन पंछी आज़ाद रहा...❣️🕊️
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