बहते हुए अश्को को , तुमने ही सम्भाला । गिरते हुए इ | हिंदी कविता

"बहते हुए अश्को को , तुमने ही सम्भाला । गिरते हुए इस सख़्श को, तुमने ही उभारा । गर जो मैं भला हु , तेरा करम हुआ । माँ हु तेरा सवेरा , तू मेरा उजाला । ©zईशान जब्बार"

 बहते हुए अश्को को ,
तुमने ही सम्भाला ।
गिरते हुए इस सख़्श को,
तुमने ही उभारा ।
गर जो मैं भला हु ,
 तेरा करम हुआ ।
माँ हु तेरा सवेरा ,
तू मेरा उजाला ।

©zईशान जब्बार

बहते हुए अश्को को , तुमने ही सम्भाला । गिरते हुए इस सख़्श को, तुमने ही उभारा । गर जो मैं भला हु , तेरा करम हुआ । माँ हु तेरा सवेरा , तू मेरा उजाला । ©zईशान जब्बार

माँ हु तेरा सवेरा

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