तू ठहर तो जरा
इश्क की तरह l
मैं भी
बरस जाऊँगी
बादल की तरह l
और
गर तू नहीं भीगा, अबकी सावन l
तो रंग जाना, अगले फाल्गुन l
तुझे पता चल जाएगा
जीने के सलीके का l
अभी तो कोई मतलब
नहीं बनता
निराश होने का l
अभी तो तू खिल रहा है
कमल की तरह
और
मैं हूँ तेरे चारो ओर
पानी की तरह l
©Roshani Thakur
#you&I