तू ठहर तो जरा इश्क की तरह l मैं भी बरस जाऊँगी बा | हिंदी Poetry

"तू ठहर तो जरा इश्क की तरह l मैं भी बरस जाऊँगी बादल की तरह l और गर तू नहीं भीगा, अबकी सावन l तो रंग जाना, अगले फाल्गुन l तुझे पता चल जाएगा जीने के सलीके का l अभी तो कोई मतलब नहीं बनता निराश होने का l अभी तो तू खिल रहा है कमल की तरह और मैं हूँ तेरे चारो ओर पानी की तरह l ©Roshani Thakur"

 तू ठहर तो जरा 
इश्क की तरह l
मैं भी 
बरस जाऊँगी
बादल की तरह  l 
और
 गर तू नहीं भीगा, अबकी सावन l
तो रंग जाना, अगले फाल्गुन l
तुझे पता चल जाएगा 
जीने के सलीके का l
अभी तो कोई मतलब
 नहीं बनता 
निराश होने का l
 अभी तो तू  खिल रहा है
कमल की तरह 
और 
मैं हूँ तेरे चारो ओर 
पानी की तरह l

©Roshani Thakur

तू ठहर तो जरा इश्क की तरह l मैं भी बरस जाऊँगी बादल की तरह l और गर तू नहीं भीगा, अबकी सावन l तो रंग जाना, अगले फाल्गुन l तुझे पता चल जाएगा जीने के सलीके का l अभी तो कोई मतलब नहीं बनता निराश होने का l अभी तो तू खिल रहा है कमल की तरह और मैं हूँ तेरे चारो ओर पानी की तरह l ©Roshani Thakur

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