ज्ञान का भंडार हर मनुष्य के पास है
पर निर्भर इस बात पर करता है कि
कितने लोग उसका अनुसरण करते हैं
बताते तो सब है
पर बांटने के बाद प्रसाद रूप में
उस ज्ञान को ग्रहण कौन करता है
दुनिया लॉजिक पे लॉजिक देती है
पढ़ने वाले पढ़ लेते हैं
अच्छा लगता है तो
अंदर थोड़ा दिल खुश कर लेते हैं
बाकी वही कर्म करते हैं जो उनको करना है
इतनी ही आज की वास्तविक सच्चाई है
इससे अधिक कुछ भी नहीं
©Pinky Mishra