गुजर जानी है आखिर कार जवानी चार दिन के बाद।
बदल जानी है मेरे यार कहानी चार दिन के बाद।
तेरी हस्ती है खाकी खाक में मिल जाएगी सब कुछ,
ये रुतबा जाह-ओ-जिल्ले खानदानी चार दिन के बाद l
सबी को इल्म है के ज़िंदगानी चार दिन की है,
कभी सोचा है क्या होगी कहानी चार दिन के बाद?
सिपह तुम हो, तुम ही लश्कर हो, शाह-ए-वक्त भी तुम हो,
रहेगी ना तेरी कोई निशानी चार दिन के बाद।
अभी हैं ऐब पोशिदा तुम्हारी सुरख- रू न बन,
खुलेगा राज होगे पानी पानी चार दिन के बाद।
#دیوانِ شوق #
©Nadeem Sarwar
#deewan_e_shauq