धिर आए नभ पर काले मतवाले बादल
सूरज से तपते खेतों में थोड़ी सी राहत आई
नर-नारी, बाल-गोपाल, पशु-पक्षी सब हुए प्रफुल्लित
प्रियसी के काले काजल से नयनों में समांए बादल
बिरहिनि के आंसू बन झर-झर बरस रहे हैं बादल
मोर,पपीहा हुए मतवारे चकवा-चकवी भये निहाल
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻
©Ashutosh Mishra
#बादल