मैं जब भी, इन पहाड़ों को देखती हूं, तो अकसर ये सो | हिंदी कविता Video

"मैं जब भी, इन पहाड़ों को देखती हूं, तो अकसर ये सोचती हूं, कि कोई कैसे? इतना ऊंचा,अडिग और धैर्यवान हो सकता है। मानो पहाड़ों से आने वाली, सदायें भी हमे, रोककर यही कह रही हो, कि जैसे हमारी चोटियां, कभी भी ऊपर से एक समान नहीं होती। वो भी कभी नुकीली और घुमावदार होती है। ठीक वैसे ही जीवन के रास्ते भी, कभी सीधे और सपाट नही होते। उन में भी मुश्किल रूपी मोड़ आ ही जाते है। और रास्तों के इन मुश्किल मोड़ों को, हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ, अडिग रहकर धैर्यवान होकर पार करना चाहिए। ©Annu Rawat Payal "

मैं जब भी, इन पहाड़ों को देखती हूं, तो अकसर ये सोचती हूं, कि कोई कैसे? इतना ऊंचा,अडिग और धैर्यवान हो सकता है। मानो पहाड़ों से आने वाली, सदायें भी हमे, रोककर यही कह रही हो, कि जैसे हमारी चोटियां, कभी भी ऊपर से एक समान नहीं होती। वो भी कभी नुकीली और घुमावदार होती है। ठीक वैसे ही जीवन के रास्ते भी, कभी सीधे और सपाट नही होते। उन में भी मुश्किल रूपी मोड़ आ ही जाते है। और रास्तों के इन मुश्किल मोड़ों को, हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ, अडिग रहकर धैर्यवान होकर पार करना चाहिए। ©Annu Rawat Payal

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