जरूरत के हिसाब से जिंदगी जिया कर, ख्वाहिशें तो बा | हिंदी शायरी

"जरूरत के हिसाब से जिंदगी जिया कर, ख्वाहिशें तो बादशाहों की भी अधूरी रह गई.! Sumit... . ©write"

 जरूरत के हिसाब से 
जिंदगी जिया कर,
ख्वाहिशें तो बादशाहों की भी 
अधूरी रह गई.!


Sumit...




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जरूरत के हिसाब से जिंदगी जिया कर, ख्वाहिशें तो बादशाहों की भी अधूरी रह गई.! Sumit... . ©write

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