इतिहास के पन्नों पर,
क्या
नवजवानों के लहू का मोल है
जहां
रणभूमि में रो रहा सत्य है।
और
विजयी पुरुष के नाम पर
अर्द्ध _ मृत _ से हो रहे आनंद से;
किन्तु
व्यंग्य, पश्चाताप, अंतरदाह का
अब
विजय _ उपहार भोगो चैन से।
©Modern Gyani
#क्रांतिकारी #सुभाषचंद्रबोस