कोरोना योधा वो कहलाये । शुबह से लेकर शाम तक वो | हिंदी कविता Video

" कोरोना योधा वो कहलाये । शुबह से लेकर शाम तक वो ना अपने घर जाये । इंसान होकर भि वो भगवान का फर्ज निभाये । कैसे हम लोग उनका कर्ज चुकाये । ढ़ाली अपनि नया भवर मे । ताकि हमारी जिन्दगी सवर जाये । चाहे क्यू ना फिर उनकी जान चलि जाए । अनेक होके भि एक है । नहि उनकी कोई वेशभूसा । सीर्फ युध कवच अपने देश केलिये । प्रदेश केलिये । हर कोई उत्ना हि ज़रूरी । जैसे ज़रूरी बनाना है अभी दूरी । चाहे चितकित्सक जो विशानु पे कर रहे प्रहार । चिकित्सा कर्मचारी भि नहि मानेगे हार । सफाई कर्मचारी जो विशानु के लिए बना रहे दिवार । वो झाधु लगाये हमे बचाये । पत्रकार भि है ज़रूरी भूला के अपनि सारि मजबूरी । हम तक पहूचा रहे खबरे ज़रूरी ॥ पुलिस चलाये लाठी बार बार ॥ लोक्क ड़ोवन मत तुम तोडो यार । सोधकरता का प्रयास जगाये हुए हैं आस । ये दिन रात उसे झेल रहे । कोरोना के झखंम मे लगा रहे मरहम । नासूर हो चला य़े झखंम । कोरोना योधा ने लगाया है लगाम । इनको मेरा सलाम । ©Author Shivam kumar Mishra "

कोरोना योधा वो कहलाये । शुबह से लेकर शाम तक वो ना अपने घर जाये । इंसान होकर भि वो भगवान का फर्ज निभाये । कैसे हम लोग उनका कर्ज चुकाये । ढ़ाली अपनि नया भवर मे । ताकि हमारी जिन्दगी सवर जाये । चाहे क्यू ना फिर उनकी जान चलि जाए । अनेक होके भि एक है । नहि उनकी कोई वेशभूसा । सीर्फ युध कवच अपने देश केलिये । प्रदेश केलिये । हर कोई उत्ना हि ज़रूरी । जैसे ज़रूरी बनाना है अभी दूरी । चाहे चितकित्सक जो विशानु पे कर रहे प्रहार । चिकित्सा कर्मचारी भि नहि मानेगे हार । सफाई कर्मचारी जो विशानु के लिए बना रहे दिवार । वो झाधु लगाये हमे बचाये । पत्रकार भि है ज़रूरी भूला के अपनि सारि मजबूरी । हम तक पहूचा रहे खबरे ज़रूरी ॥ पुलिस चलाये लाठी बार बार ॥ लोक्क ड़ोवन मत तुम तोडो यार । सोधकरता का प्रयास जगाये हुए हैं आस । ये दिन रात उसे झेल रहे । कोरोना के झखंम मे लगा रहे मरहम । नासूर हो चला य़े झखंम । कोरोना योधा ने लगाया है लगाम । इनको मेरा सलाम । ©Author Shivam kumar Mishra

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