White मेरा सफर✍️
एक अनजान शहर , अनजान रास्ते और अजनबी मैं।
पहचान बस खुद के सपनों का ,जिसे सच बनाने आई हूं।
मां के प्यार के आंचल से दूर, बाबा के लाड़ प्यार से दूर।
यहां कोई अपना नहीं, बस किताबें ही मेरी सहेली है।
बस इसी साथी के साथ ,सफलता के शिखर तक जाना है।
एक दिन सपना सच कर, मां बाबा को गर्व दिलाना है।
स्वरचित कविता
मां बाबा की लाडली :निधि प्रिया
©Life is a journey Nidhi Priya
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मां बाबा की लाडली motivational thoughts for students