जो बीत गए वो लम्हे भी खास थे
हर बीते लम्हो के एक अलग एहसाह थे,
वो गर्मियों कि छुट्टी..
वो सुबह चिड़ियों का चहचहाना..
वो बारिश मे भीगे मिट्टी कि खुसबू..
वो धुप का खिल जाना..
वो दोपहर कि मस्ती..
वो दोस्तों के साथ खेलना ..
वो शाम का ढल जाना..
वो माँ कि डांट..
वो पिता का प्यार..
वो पुरे दिन कि थकान..
वो थक कर यु माँ कि गोद मे सो जाना..
जो बीत गए वो लम्हे भी ख़ास थे
हर बीते लम्हो के एक हसीन एहसाह थे,
बीत गए वो सभी किस्से
ख़त्म वो सारी कहानिया हो गयी,
कुछ यूँ करवट बदली जिंदगी ने
चहकती हुई बचपन अब खामोश जवानिया हो गयी...
.....आदर्श साहानी
©बेज़ुबान
#Nawaaz जो बीत गए वो पल भी ख़ास थे
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