White गजल –दौर
है मुफलिसी का दौर और फरेब ज्यादा है
पहले ही बता दे, तेरा क्या इरादा है ।
क्या कारोबारी बातें करते हो तुम भी
के खुशी मिले या गम,सब आधा-आधा है।
लोग बेवजह अपना गम बांटते फिरते हैं
मुझे लगता है यह बात बेबुनियादा है ।
जाने क्यों होता है तकल्लुफ ,गम–ए–इश्क से सबको
प्यार में दर्द का मसला तो सीधा-साधा है ।
काश हर शख्स को मिलती मोहब्बत में वफा
इरादा तो अच्छा है जनाब ,पर गलत अंदाजा है ।
अपना हौसला और हुनर तुम बचा कर रखना
मंजिल–ए–मोहब्बत का ना कोई नक्शा है,ना कोई कायदा है।।
©GHAZAL POETRY
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