"दिल तो हैं, बसाने वाली चाहिए
कुंडली तो हैं, मिलाने वाली चाहिए|
रूह तो हैं, समाने वाली चाहिए
ज़िन्दगी तो हैं, खूबसूरत बनाने वाली चाहिए||
प्यार तो हैं, जताने वाली चाहिए
मेरी गलती हैं, बताने वाली चाहिए|
ज़ख्म बहुत हैं, मरहम लगाने वाली चाहिए
अरे शराब तो रखी हैं, पिलाने वाली चाहिए||
-लकी त्रिपाठी"