क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप

"क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं बस इसी में जीते खाते हैं और यहीं रहते हुए इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है और इसी की परंपरा निभाते हुए सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है हम जो कुछ भी है यथा, आधुनिक -पौराणिक सहिष्णु -असहिष्णु जातिवादी -मानवतावादी क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो इतिहास के अतीत की आत्माओं में सीमित या असीमित हो भय व निर्भय हो भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश! मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी जितना कि सदियों से अद्यतन गंगा जमुनी तहजीब का मालिक इस महान भारत देश ने गढ़ा है ~अपरिचित सलमान"

 क्या हैं ?भारत देश!

भारतवर्ष
हम तो 
वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं 
बस इसी में जीते खाते हैं 
और यहीं रहते हुए
इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं

पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व
इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए 
क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है
और इसी की परंपरा निभाते हुए
सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है

हम जो कुछ भी है 
यथा,
आधुनिक -पौराणिक 
सहिष्णु -असहिष्णु
जातिवादी -मानवतावादी 
क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए
वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो
रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो
इतिहास के अतीत की आत्माओं में 
सीमित या असीमित हो
भय व निर्भय हो
भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं

इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में 
अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को 
नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश!
मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी

जितना कि
सदियों से अद्यतन
गंगा जमुनी तहजीब का मालिक
इस महान भारत देश ने गढ़ा है

~अपरिचित सलमान

क्या हैं ?भारत देश! भारतवर्ष हम तो वास्तविक रूप से, इसे जानते ही नहीं बस इसी में जीते खाते हैं और यहीं रहते हुए इसी में ही कुछ न कुछ सही गलत भी कर जाते हैं पर हमे, इसकी वास्तविकता को जानना व इसके मर्म को अवश्य पहचानना चाहिए क्योंकि हम इसी के उत्पाद व उपज है और इसी की परंपरा निभाते हुए सदियों से आज तलक, इसी की कड़ी बने हुए है हम जो कुछ भी है यथा, आधुनिक -पौराणिक सहिष्णु -असहिष्णु जातिवादी -मानवतावादी क्षेत्रीय अस्मिताओं के भंवर में फंसे या जकड़े हुए वसुधैवकुटुंबकम के पैरोकार हो रूढ़िग्रस्त व भयभीत हो इतिहास के अतीत की आत्माओं में सीमित या असीमित हो भय व निर्भय हो भिन्न -भिन्न प्रक्रियाओं के तहत निर्मिति हैं इतने विविधपूर्ण रूप -स्वरूप में अपने निवासियो व अपनी सार संस्कृतियों को नहीं ही गढ़ पायेगा? कोई अन्य देश! मेरा विश्वास है ये और यथार्थ परक सोच भी जितना कि सदियों से अद्यतन गंगा जमुनी तहजीब का मालिक इस महान भारत देश ने गढ़ा है ~अपरिचित सलमान

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