क्या मुँह लेके आखिर वहां माहताब आया होगा..!
मस्सरते पैगामे ईद उनको कैसे सुनाया होगा..!!
टुकड़ों से, चीथड़ो से ईद का जोड़ा बनाया होगा..!
मिट्टी की खुशबू , खाक का सुरमा लगाया होगा..!!
घास की सिवैइयां, पत्तियों का सालन पकाया होगा..!
इंशा अल्लाह उसी में खूब लुत्फ आया होगा..!!
नमाज़े ईद का जब वक्त करीब आया होगा..!
मलबा हटा के कहीं मिंबर बनाया होगा..!!
कैसे सजदे लगाये होंगे क्या खुत्बा सुनाया होगा..!
दुआओं में आसुओं का समंदर बहाया होगा..!!
मासूमों के सरों पर दुश्मन का साया होगा..!
पक्के नमाज़ियो ने क्या जज़्बा दिखाया होगा..!!
इन जिंदा गाज़ियों को क्या क्या ना याद आया होगा..!
अम्मी, किसी को बेटा, किसी बाप याद आया होगा..!!
©Abd
#eidmubarak