ख्वाब
तुझे जमाल कहूं
हिलाल कहूं या तसव्वर
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
तुझे याद करूं
लिखूं या अर्ज करूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
तेरी यादें वापस करूं
रखुं या फेंक दूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
तेरी रूहानी बातें
गुनगुना लूं या गजल बना दूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
तेरा प्रेम पत्र चला दूं
फेक दूं या हथियार बना लूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
तेरा उपहार वापस करू
नष्ट करू या संग्रहालय बना दूं
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
मेरी यह बातें
कल्पना है ख्वाब या ख्वाहिश है
कुछ समझ में नहीं आ रहा...
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#feeling