बसंत की मंद सुगंध से,नैनो में यौवन जाग गया।
साजन के होंठों से सर्र-सर्र करता गीत भाग गया।।
मुुंडेर के ऊपर वो गौरी!केशो की घुंघराली थी,
दो मोतियों से मद की धारा,टप टप बहने वाली थी।
मनमोही मौसम से यौवन केे लिए मद जाग गया।
साजन के होंठों से सर्र-सर्र करता गीत भाग गया।।
©Satish Kumar Meena
बसंत की मंद सुगन्ध