किश्त कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है , साँस ब | हिंदी कविता

"किश्त कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है , साँस बाक़ी है और हवा नहीं है , नसीहतें , सलाहें , हिदायतें तमाम पर्चे पर है पर दवा नहीं है , आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंज़र सचमुच अच्छा नहीं है , रक्त बिका , पानी बिका , आज बिक रही है हवा , कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है हरेक शामिल है इस गुनाह में कुसूर किसी एक का नहीं है , वक्त है अब भी ठहर जाओ , वक्त है अब भी ठहर जाओ , अभी सब कुछ लुटा नहीं है... राहुल प्रधान ©RAHUL PARDHAN"

 किश्त
कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है ,
साँस बाक़ी है और हवा नहीं है ,
नसीहतें , सलाहें , हिदायतें तमाम पर्चे पर है 
पर दवा नहीं है ,
आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंज़र सचमुच अच्छा नहीं है ,
रक्त बिका , पानी बिका , आज बिक रही है हवा ,
कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है हरेक शामिल है 
इस गुनाह में कुसूर किसी एक का नहीं है ,
वक्त है अब भी ठहर जाओ ,
वक्त है अब भी ठहर जाओ ,
अभी सब कुछ लुटा नहीं है... राहुल प्रधान

©RAHUL PARDHAN

किश्त कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है , साँस बाक़ी है और हवा नहीं है , नसीहतें , सलाहें , हिदायतें तमाम पर्चे पर है पर दवा नहीं है , आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंज़र सचमुच अच्छा नहीं है , रक्त बिका , पानी बिका , आज बिक रही है हवा , कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है हरेक शामिल है इस गुनाह में कुसूर किसी एक का नहीं है , वक्त है अब भी ठहर जाओ , वक्त है अब भी ठहर जाओ , अभी सब कुछ लुटा नहीं है... राहुल प्रधान ©RAHUL PARDHAN

#Nodiscrimination

People who shared love close

More like this

Trending Topic