खैरियत पूंछते थे जो मेरी कभी , आज मिलते नहीं ख़्वा | हिंदी Shayari

"खैरियत पूंछते थे जो मेरी कभी , आज मिलते नहीं ख़्वाब में भी हमें.. हश्र -ए -दिल की कहानी मेरी , भला यार कैसे सुनाएं तुम्हें। वीरान सी हैं ये सारी बातें , ये खाली से दिन , ये तन्हा रातें... यादें तुम्हारी डसती हैं हर दम , कैसे भुलाएं अब हम तुम्हें। ©शून्य"

 खैरियत पूंछते थे जो मेरी कभी , आज मिलते नहीं ख़्वाब में भी हमें..
हश्र -ए -दिल की कहानी मेरी , भला यार कैसे सुनाएं तुम्हें।
वीरान सी हैं ये सारी बातें , ये खाली से दिन , ये तन्हा रातें...
यादें तुम्हारी डसती हैं हर दम , कैसे भुलाएं अब हम तुम्हें।

©शून्य

खैरियत पूंछते थे जो मेरी कभी , आज मिलते नहीं ख़्वाब में भी हमें.. हश्र -ए -दिल की कहानी मेरी , भला यार कैसे सुनाएं तुम्हें। वीरान सी हैं ये सारी बातें , ये खाली से दिन , ये तन्हा रातें... यादें तुम्हारी डसती हैं हर दम , कैसे भुलाएं अब हम तुम्हें। ©शून्य

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