"करो यतन सखी साई मिलन की ll
गुरिया गुरवा सुप सुपलिया l
त्यज दे लरीकैया खेलन की ll
देव पितर और भुईया भवानी l
यह मारग चौरासी चलन की ll
ऊँचा महल अजब रंग बंगला l
साई की सेज वहॉं लगी फूलन की ll
तन मन धन सब अर्पण कर वहॉं l
सुरत सम्भार पर पईया सजन की ll
कहैं कबीर निर्भय होय हंसा l
कुनजी बता दो ताला खुलन की ll
🌼कबीर वाणी 🌼
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©Virendra Kumar
साहेब