वो शहर किसी की बातों
का दीवाना था,
जिसको दिल दिया ऐसा
हमारा अफसाना था
उनसे बहुत कुछ कहना था,
हमारा ऐसा सोचना था
यादों की सादगी
बेहद खूबसूरत थी,
छूटती हुई आदत को
उनकी आँखों से आजमाया
हुआ समां भी डूबते हुए
सूरज जैसा दरिया था,
कुछ तो हमारे भी दरमियाँ था
आजकल ज़माने को भी
नहीं मानना था।।
©Akanksha Dixit
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