जैसा बीज बोया, वैसा ही फल अपेक्षित हैं भाग्य तो क | हिंदी Poetry

"जैसा बीज बोया, वैसा ही फल अपेक्षित हैं भाग्य तो कर्म के, बल पर ही संचित है ©योगेंद्र शुक्ला (वियोगी)"

 जैसा बीज बोया, वैसा ही फल अपेक्षित हैं 
भाग्य तो कर्म के, बल पर ही संचित है

©योगेंद्र शुक्ला (वियोगी)

जैसा बीज बोया, वैसा ही फल अपेक्षित हैं भाग्य तो कर्म के, बल पर ही संचित है ©योगेंद्र शुक्ला (वियोगी)

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