किताब कहानिया किताबो में बंद हो जाती है
अनकहीं सी कविताए मंद हो जाती हैं
सवाल कुछ जवाब दिए रह जाती हैं
कोने में धूल जमे ये कुछ कह जाती हैं
इन्हे लिखे पढे लोग भी कहाँ पढ़ पाते हैं
अंधेखा कर मोबाइल को लिए रह जाते हैं
कभी उधर तो कभी इनको सजाए रखते हैं
डिजिटल वाले लोग कहाँ किताबे पढ़ते हैं
©Ritika Rajput
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