सितारा मैं एक सितारा हूँ
औऱ सितारे का "धर्म" है चमकना
इसलिये जब तक जीऊँगा
तब तक चमकुंगा
क्यूँकि इसके लिये
मैंने बहुत "कीमत" चुकाई है
और जब मेरी चमक गायब हो जाए
तब समझना कि यह सितारा
निकल चुका है सितारों के जहाँ में...
©कृतांत अनन्त नीरज...
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