देखा एक ख़्वाब, जुस्तजू जिसकी थी उस को तो न पाया हम

"देखा एक ख़्वाब, जुस्तजू जिसकी थी उस को तो न पाया हमने इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने तुझको रुसवा न किया ख़्हुद भी पशेमाँ न हुये इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं ज़िंदगी तुझको तो बस ख़्ह्वाब में देखा हमने ऐ 'आद' और सुनाये भी तो क्या हाल अपना उम्र का लम्बा सफ़र तय किया तनहा हमने"

 देखा एक ख़्वाब, जुस्तजू जिसकी थी उस को तो न पाया हमने 
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने 
तुझको रुसवा न किया ख़्हुद भी पशेमाँ न हुये 
इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने
 कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं
 ज़िंदगी तुझको तो बस ख़्ह्वाब में देखा हमने
 ऐ 'आद' और सुनाये भी तो क्या हाल अपना 
उम्र का लम्बा सफ़र तय किया तनहा हमने

देखा एक ख़्वाब, जुस्तजू जिसकी थी उस को तो न पाया हमने इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने तुझको रुसवा न किया ख़्हुद भी पशेमाँ न हुये इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं ज़िंदगी तुझको तो बस ख़्ह्वाब में देखा हमने ऐ 'आद' और सुनाये भी तो क्या हाल अपना उम्र का लम्बा सफ़र तय किया तनहा हमने

#Rekha

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