जबान खींच ली गई हलक से जो ऊँगली उठी गुरुर पर, सिया | हिंदी Shayari

"जबान खींच ली गई हलक से जो ऊँगली उठी गुरुर पर, सियासी गुलाम है कौम इंसान की आँख कैसे उठी हुज़ूर पर.. ©Utkarsh Rastogi"

 जबान खींच ली गई हलक से जो ऊँगली उठी गुरुर पर,
सियासी गुलाम है कौम इंसान की आँख कैसे उठी हुज़ूर पर..

©Utkarsh Rastogi

जबान खींच ली गई हलक से जो ऊँगली उठी गुरुर पर, सियासी गुलाम है कौम इंसान की आँख कैसे उठी हुज़ूर पर.. ©Utkarsh Rastogi

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