कितना अरसा बीत गया तुम्हे देखे हुए,
अब तो यादें भी दूंधली हो गई है।
अब अखबारों में धूल बड़ा जमती है,
शायद चश्मा टूट गया तुम्हारी राह ताकते।
अब गलियारे में बच्चों की गेंद नही आती,
शायद उन्हें डांटने बाला कोई नही आता।
अब चमेली के फूल से वो खुशबू नही आती जैसा तुमसे आती थी
शायद बरसों बीत गया है, पानी दिए हुए।
अब मैं भी उसी शय्या में हू जहां से तुम मुझे छोड़ के गई थी।
©Modern Gyani
#तेरियादें