मैं खिलाफ नही उस इश्क़ के,
जो इश्क़ पाकीज़ा हो,
जिसमे एहसासों के मायने हो,
जिसमे खामोशी भी पढ़ी जाती हो,
जिसमे आंखे,और सीरत,
खूबसूरती के मायने हों,
जिसमे शक की कोई गुंजाइश न हो,
जिसमे न हो शर्तों का बंधन कोई,
और न वादों का कोई बोझ हो,
जिसमे उम्मीदों की कोई गठरी न हो,
जिसमे दूरी न मायने रखती हो,
जिसमे प्रेम रहे पूजा की तरह,
जिसमे बिछड़ने के बाद भी रुसवाई न हो,
जिसमे प्रिय सदैव प्रिय ही रहे,
जिसमे अपने कष्टों का कसूरवार कोई और न हो,
जिसमे प्रेम हो ईश्वर की आराधना जैसा पूजनीय,
जिसमें जिस्मों की कोई भूख न हो..!
ख़ैर....
©Lalit Saxena
#World_Photography_Day शायरी लव