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#कल किताबों से थोड़ा जो बातें करीं,
सब सहा है इसी ने सब कहा है इसी ने,
सब छुपाया इसी ने सब बताया इसी ने।
सबने छोड़ा जो रिश्ता निभाया इसी से ।
जब भी सीने पर आकर कुरेदा है इसको ,
स्याह आँखों से पढ़कर जो रातें हरी ,
कल किताबों से थोड़ा जो बातें करीं।