बारीक-बारीक टुकड़े कर
दिल के मेरे मुस्कराते हो ..
घावों पे मेरे मलहम की जगह
नमक का लेप लगाते हो..
मानना पड़ेगा जादूगर हो
अपनी मर्जी से आते-जाते हो
बीमारी लगा कर इश्क की मुझको
रोज कड़वी दवा पिलाते हो ...
मेरे सब्र का बांध तुम तोड़ चुके हो
अब क्यों सरदर्द बढ़ाते हो...
पत्थर का हो चला है दिल
अब तुम धड़कन सुनना चाहते हो..?
यश था पागल जो सजदे किये
तुम तो रुपयों में बिक जाते हो ..||
©Yash Mehta
#tootadil