ना जाने क्या वफ़ा हुई हमसे जो हमे ही शैतान बना दिया
"ना जाने क्या वफ़ा हुई हमसे जो हमे ही शैतान बना दिया
जिसे नही चाहता कोई वो नफरत का पैगाम बना दिया
अरे।
मोहोब्बत नही की जमाने ने
तो गुन्हेगार बना दिया
मर भी गए हम तो
जिस जगह जाने का वक्त नही किसी के पास।
वो कब्रिस्तान बना दिया"
ना जाने क्या वफ़ा हुई हमसे जो हमे ही शैतान बना दिया
जिसे नही चाहता कोई वो नफरत का पैगाम बना दिया
अरे।
मोहोब्बत नही की जमाने ने
तो गुन्हेगार बना दिया
मर भी गए हम तो
जिस जगह जाने का वक्त नही किसी के पास।
वो कब्रिस्तान बना दिया