मेरे बेहतर कल की खातिर, जिन्होंने कठोर तप किया l ह | हिंदी Poetry

"मेरे बेहतर कल की खातिर, जिन्होंने कठोर तप किया l हर हाल में मौन रहकर ,श्रम का बस जप किया l जिनकी दृंढ़ता के आगे मेरा, बुरा वक़्त भी कट गयाl मेरी ढ़ाल में वो मजबूती थी ,कि हर वार ही बिख़र गया l जो हँसे थे उनके हालातों पर, उनका मुँह बंद कराना है l बापू को बैठाकर फ्रंट शीट पर, बस 'थार' से घुमाना है l बापू को बैठाकर फ्रंट शीट पर .... नीलू.. ©Neil Sharma"

 मेरे बेहतर कल की खातिर, जिन्होंने कठोर तप किया l
हर हाल में मौन रहकर ,श्रम का बस जप किया l
    जिनकी दृंढ़ता के आगे मेरा, बुरा वक़्त भी कट गयाl
   मेरी ढ़ाल में वो मजबूती थी ,कि हर वार ही बिख़र गया l
    जो हँसे थे उनके हालातों पर, उनका मुँह बंद कराना है l 
  बापू को बैठाकर फ्रंट शीट पर, बस 'थार' से घुमाना है l
बापू को बैठाकर फ्रंट शीट पर ....
नीलू..

©Neil Sharma

मेरे बेहतर कल की खातिर, जिन्होंने कठोर तप किया l हर हाल में मौन रहकर ,श्रम का बस जप किया l जिनकी दृंढ़ता के आगे मेरा, बुरा वक़्त भी कट गयाl मेरी ढ़ाल में वो मजबूती थी ,कि हर वार ही बिख़र गया l जो हँसे थे उनके हालातों पर, उनका मुँह बंद कराना है l बापू को बैठाकर फ्रंट शीट पर, बस 'थार' से घुमाना है l बापू को बैठाकर फ्रंट शीट पर .... नीलू.. ©Neil Sharma

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