ज़िंदगी की अदालत में पेशी है हमारी हृदय! न जा | हिंदी Shayari

"ज़िंदगी की अदालत में पेशी है हमारी हृदय! न जाने कब मुलज़िम से मुज़रिम साबित हो जाएं... - रेखा "मंजुलाहृदय" , ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय""

 ज़िंदगी की अदालत में पेशी है हमारी हृदय!
     न जाने कब मुलज़िम से मुज़रिम साबित हो जाएं...
- रेखा "मंजुलाहृदय"












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©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

ज़िंदगी की अदालत में पेशी है हमारी हृदय! न जाने कब मुलज़िम से मुज़रिम साबित हो जाएं... - रेखा "मंजुलाहृदय" , ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

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