बिखरे हुए को संवारना जानता था मैं हर रूठे हुए को म | English Poetry

"बिखरे हुए को संवारना जानता था मैं हर रूठे हुए को मनाना जानता था मैं अपनो ने अपना रंग दिखा दिया वक्त वक्त पर नही तो हर रिश्ता दिल से निभाना जानता था मैं किसी को नही होने दी भनक अपने गमों की अपने दुख दर्द बहुत अच्छे से छुपाना जानता था मैं एक हादसे ने मुझसे मेरी मुस्कुराहट छीन ली वरना हर एक बात पर मुस्कुराना जानता था मैं । ©_J_Y_O_T_I_"

 बिखरे हुए को संवारना जानता था मैं
हर रूठे हुए को मनाना जानता था मैं

अपनो ने अपना रंग दिखा दिया वक्त वक्त पर
नही तो हर रिश्ता दिल से निभाना जानता था मैं

किसी को नही होने दी भनक अपने गमों की
अपने दुख दर्द बहुत अच्छे से छुपाना जानता था मैं

एक हादसे ने मुझसे मेरी मुस्कुराहट छीन ली वरना
हर एक बात पर मुस्कुराना जानता था मैं ।

©_J_Y_O_T_I_

बिखरे हुए को संवारना जानता था मैं हर रूठे हुए को मनाना जानता था मैं अपनो ने अपना रंग दिखा दिया वक्त वक्त पर नही तो हर रिश्ता दिल से निभाना जानता था मैं किसी को नही होने दी भनक अपने गमों की अपने दुख दर्द बहुत अच्छे से छुपाना जानता था मैं एक हादसे ने मुझसे मेरी मुस्कुराहट छीन ली वरना हर एक बात पर मुस्कुराना जानता था मैं । ©_J_Y_O_T_I_

#udas

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