होली
पीकर भंग बसंत का, झूमे फागुन मास।
रंँग डाला जग प्रेम में,बिखराया मृदु हास।।
2-
आया फागुन मास अब,खिले पुष्प बहुरंग।
चटकीला टेसू हुआ ,रंग चुराता भृंग।।
3-
बिहँसे फागुन मास है, ताने पुष्प-वितान।
पुष्पों को लख हो रहा,इंद्रधनुष का भान।।
4-
फागुन लेकर आ गया, होली का त्यौहार।
चतुर्दिशा में हो रही, रंगों की बौछार।।
5-
सुरभित लाल पलाश में,डोले मंद बयार।
ढोल चंग की ताल पर,थिरक रहा संसार।।
आशा शुक्ला,शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश
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