मैने जब-जब कहा छोड़ना मत, उसने कोई जवाब नहीं दिया।
उलझाएं रखा बातों में, अहसास का ढंग से हिसाब नहीं दिया।।
शायद वक्त गुजारने का जरिया थी, उसके लिए मेरी मुहब्बत।
मुझे रूहानी सुकून मिले,उसने ऐसा कोई ख्वाब नहीं दिया।।
उसकी हंसी उसका लहजा, खुश्बू से नहाया हुआ रहता है।
बस यही सोचकर उसको तोहफे में,कभी गुलाब नहीं दिया।।
खुदा की नेमत है रकीबों की तादाद तो दिनों-दिन बढ़ रही है।
अफसोस है यही,नसीब ने हिस्से में कोई अहबाब नहीं दिया।।
वो उनकी समझ बेचैन मुझे छोड़ गए,एक -एक करके लोग ।
मगर रिश्तों को जीते जी हमने, माहौल खराब नहीं दिया।।
©Vm Bechaiin
मैंने जब -जब कहा मुझे छोड़ना मत, उसने कोई जवाब नहीं दिया