खामोशियो का "शहर" खोज रहा हूँ
बन्द कमरे मे "कब्र" खोद रहा हूँ ।
तुम ना आओगे -मिलने तो क्या ?
सुन-सुन के तेरी आवाज खुद को जोड़ रहा हूँ
फित्ना हूँ, कितना हूँ, इतना हूँ!
तेरे खयाल में, जिंदगी को "घूर" रहा हूँ ।
"मेरे-लिये" हैं, या- "तेरे-लिये"
दुआओं के फेहरिस्त मे "तेरा-नाम" जोड़ रहा हूँ ।।। तेरे-लिये ।।।