बादल के पिंजरे में चांद,सोया चादर ओढ़ के। चांदनी | हिंदी Poetry Video

"बादल के पिंजरे में चांद,सोया चादर ओढ़ के। चांदनी भी रूठी मानो,चली गई मुख मोड़ के। बिना चांद के चांदनी,और बिना चांदनी चांद, नहीं बिछड़ते इक पल भी,इक दूजे को छोड़ के। ©Kalpana Tomar "

बादल के पिंजरे में चांद,सोया चादर ओढ़ के। चांदनी भी रूठी मानो,चली गई मुख मोड़ के। बिना चांद के चांदनी,और बिना चांदनी चांद, नहीं बिछड़ते इक पल भी,इक दूजे को छोड़ के। ©Kalpana Tomar

बादल के पिंजरे में चांद...........
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