मेरे जेब का सिक्का तेरे जेब में है
वो भी लूटा चुका किसी के पाजेब में है
कितना सच बोलता है ए यार मेरे
वो सच झलकता तेरे किरदार में है
तुमने मांगी थी दौलत काम के वास्ते
सोने की हार तेरे मासूक के गले में है
मेरी जरूरतों पर मुझे पराया समझने वाले
हर बार तुम्हारी जरूरत मेरे हाथ में है
©✍ अमितेश निषाद
मेरे जेब का सिक्का तेरे जेब में है
वो भी लूटा चुका किसी के पाजेब में है
कितना सच बोलता है ए यार मेरे
वो सच झलकता तेरे किरदार में है
तुमने मांगी थी दौलत काम के वास्ते
सोने की हार तेरे मासूक के गले में है