संसार दु:खी हो जाता है, जब लीख बदल दी जाती है।
सड़कों पे खड़ी गऊ माता की, जब व्यथा दिखाई देती है।।
फिरती भूखी प्यासी है, वह वेबस और लाचार यहाँ।
पाया था मां का दर्जा जो, वह भी तो अब सत्कार कहाँ।।
ये नयन आश्रुमय होते है, मां जिंदा काटी जाती है।
सड़कों पे खड़ी गऊ माता की, जब व्यथा दिखाई देती है।।