White 122---122---122---122
"मिली ही नहीं है मुहब्बत अभी तक।
जहाँ से रही है शिकायत अभी तक।।
करूँ बात किससे कहूँ क्या किसी को
किसी की हुई ना इनायत अभी तक।।
न चाहूँ बने ताज मेरे लिए भी।
कहीं दूसरी ना इमारत अभी तक।
जिसे शायरी का नशा हो गया है।
उसे है ग़ज़ल की हरारत अभी तक।।
सिखाता रहा वक्त हमको बहुत कुछ।
मगर पा सके ना महारत अभी तक।।
रखे हाथ पे दिल, रहे घूमते हम।
किसी को पडी़ ना ज़रूरत अभी तक।
मुझे देखता अम्बिका वो मगर है।
नहीं कर सका है हुकूमत अभी तक।।"
अम्बिका झा✍️
©Ambika Jha
#Sad_Status