है अटल अब पथ हमारे, तुम क्या काटे बिछाओगे
ठोकरे खाके संभले है, तुम क्या चलना सिखाओगे
लश्कर मेरे तैयार खड़े है, तुम क्या मुझे आजमाओगे
हर हार में भी मेरी जीत छिपी है, तुम क्या मुझे हराओगे
परवाह किसे है जिंदगी की, तुम मौत से कैसे डराओगे
मिट्टी मे पले फौलाद है हम, तुम मिट्टी मे कैसे मिलाओगे
लोगो की हर रीत देखी है मैंने, और नया क्या दिखलाओगे
हर चेहरा मैंने खुद पढ़ा है, तुम क्या मुझे बतलाओगे
हाँ हम टूटे मकां की वारिस है
हाँ, हमारा ठिकाना अभी लवारिश है
पर मौसम जल्द ही बदलेगी
फिर साँसे कितने तरसेगी
तुम जी भर के देख लो आज इसे
कल बादल यही बरसेगी
...
©K_ATulYA
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